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मत मती सन्मति.. गत गति सद्गति…

मत मती सन्मति.. गत गति सद्गति…

राज, नीति, सन, मती, अति, गति, इन्हीं में प्रगति भी है, स्वराज भी है, तो मां भारती भी है .. अतः ये हमें अपने स्वविवेक से तय करना होगा कि सुंदर व सार्थक राज्य के लिए नीति को राज के स्थान पर गति से जोड़ें एवं नीतिगत कार्य करें..

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नेताजी की चाल आम जन बेहाल

नेताजी की चाल आम जन बेहाल

अब तक हुए मेलों की नाकामी को देखते हुए नेताजी ने इस बार अपनी कुटिल बुद्धि से पूरे शहर में एक घोषणा करवा दी.. घोषणा थी कि..”पांच रुपए में अच्छी नस्ल का घोड़ा जीतिए”…आगे पढ़िए

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