एक शहर में हर दूसरे वर्ष एक बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता था किन्तु लोगों का रुझान उसमें बहुत कम ही होता था..
अतः इस बार फ़िर से मेले का समय आया.. चूंकि उसी दरमियान चुनाव भी आने वाले थे तो इस बार आयोजकों में एक नेता जी भी शामिल हो गए..
अब तक हुए मेलों की नाकामी को देखते हुए नेताजी ने इस बार अपनी कुटिल बुद्धि से पूरे शहर में एक घोषणा करवा दी..
घोषणा थी कि..“पांच रुपए में अच्छी नस्ल का घोड़ा जीतिए..”
सिर्फ पांच रुपए का टिकिट लेने पर एक अच्छी नस्ल का घोड़ा..?
लोगों की तो इस घोषणा से बांछे खिल गई.. और अब तक जहां मेले में बमुश्किल कुछ हजार लोगों की शिरकत रहती थी.. वहीं इस बार यह आंकड़ा लाखों में पहुंच गया था..
लाखों लोगों का रुझान देखकर आयोजकों के हौंसले बुलंद हो गए.. तो एक अच्छी नस्ल का घोड़ा लाने की कवायद शुरू हुई..
किंतु एन टाइम पर नेता जी ने उन्हें अपनी एक योजना बताई.. जिसे सुनकर सभी आयोजक अचंभित थे.. और इंतजार कर रहे थे कि यह कैसे सम्भव हो पाएगा.. खैर..
मेले के अंत में लॉटरी का ड्रा खोला गया भव्य आयोजन के साथ ही नाम की घोषणा की गई भीड़ में से ही एक बच्चे के द्वारा पर्ची निकाली गई और विजेता को मंच पर आमंत्रित किया गया..
लोगों ने कंधे पर उठाकर विजेता को मंच तक पहुंचाया .. स्वयं नेता जी ने उसे माला पहनाई और सबके सामने घोड़ा जितने के लिए शुभकामनाएं एवं बधाई दी..
और कहा कि आप अपना आईडी दिखाकर कल सुबह घोड़ा ले जा सकते हैं..
ज़ोरदार तालियां सीटियां बजने लगी लोग नेताजी की जय जयकार करने लगे.. जिन्हें देख सुनकर ऐसा लग रहा था कि अभी अगर नामांकन हो जाए तो नेताजी निर्विरोध निर्वाचित हो जाएंगे..
घोषणा के बाद मेला समाप्त हुआ सभी अपने अपने घर एवं आसपास के गांवों को वापसी कर गए.. बचा तो बस वो विजेता जिसे अगली सुबह ही घोड़ा लेना था..
अतः नियत समय पर विजेता आयोजन स्थल पर पहुंचा तो वहां उसे सिर्फ दो चपरासी नुमा व्यक्ति ही दिखाई दिए.. उसे लगा कि कल की तरह आज भी उसका सम्मान किया जाएगा और बाकायदा माला वाला पहनाकर उसकी यात्रा निकाली जाएगी.. किंतु ये क्या यहां तो ये दो चपरासी ही नजर आए..
एक ने उसका आईडी देखा और दूसरा उसे पीछे तबेले नुमा अस्तबल में लेे गया.. वहां का नजारा देखते ही विजेता के तो होश उड़ गए..
एक घोड़ा ओंधें मुंह पड़ा था.. अर्थात उसके द्वारा जीता गया घोड़ा मरा हुआ था..
(यही नेताजी की योजना थी कि घोड़े में भी पैसा खर्च करने की आवश्यकता नहीं है)
देखते ही वो रोने पीटने लगा.. और आयोजकों और नेताजी को भला बुरा कहने लगा..
उनमें से एक चपरासी बोला क्यूं रोता है ..?
तेरा कौनसा नुकसान हो गया ..?
ये पकड़ पांच रुपए और घर जा.. नेता जी आए थे सुबह उन्होंने ही ये पांच रुपए दिए हैं .. वे सबका ध्यान रखते हैं.. किसी को नुकसान नहीं होने देते..
अब खुशी खुशी जा और हां.. तू भी ध्यान रखना इस बार चुनावों में नेता जी को ही अपना वोट देना.. देगा ना..??
अ.. ह.. हैं..हां……(बेचारा ठगा सा महसूस करता हुआ)
अतः यही तकिया झाड़ कर रजाई बनाने की कला ही आजकल राजनीति कहलाती है..
और हर बार इनके झासों में आने का कारण भी यही है की विजेता सिर्फ एक होता है जिसको भीड़ में पुरस्कार दिया जाता है और अकेले में तिरस्कार.. अब वो बेचारा भीड़ को कहां से इकट्ठा करके बताए की खुद उसके साथ साथ बाकी सबके साथ कितना बड़ा धोखा हुआ है.. लाखों लोगों से पैसा इकठ्ठा कर नेताजी और आयोजक लाखों कमा गए और मुफ्त की वाह वाही मिली वो अलग..
जबकि भीड़ तो ये किस्सा कहते नहीं थक रही कि पांच रुपए में फलां आदमी घोड़ा जीत गया था..
अतः सतर्क रहते हुए नेताओं के वादों पर विश्वास करने से पहले अपने स्वविवेक का इस्तेमाल करें..
कहीं ऐसा ना हो कि हम सिर्फ अपने पांच रुपए के घोड़े पर ही केन्द्रित रहें और वे पांच लाख इकट्ठा कर अपना घड़ा एक बार फ़िर से भरने में कामयाब हो जाएं…
नोट:~ कृपया इस लेख को किसी भी राजनैतिक दल अथवा व्यक्ति से ना जोड़ें अन्यथा लेख का मर्म और लेखक का कर्म दोनों ही निष्फल हो जाएंगे..🙏
जय हो🙏😇💐
संजय_पुरोहित
Writer, Actor, Singer…. not only Sanjay Purohit is proficient in his key skills but also passionate about them. 20 years of theatrical journey, facing camera for daily soaps & his signature moves in song albums has gifted him with many creative experiences, but his passion inclines more towards Writing. Being a Deep Thinker by nature, writing comes to him easily. Evolved thinking about various subjects has influenced his Analytical & Logical Writing. His work extends but is not limited to Song Writing, Movie Scripts, Theatre Acts, Rewriting Devotional Stories(Katha) for the 21st century, and Articles/Blogs on Serious Subject Matters as well as Witty Political ones. Sanjay Purohit will not leave any stone unturned when it comes to accomplished writing on any given subject. We hope you savor his creations as much as he relishes creating them!