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अब तो मजहब कोई ऐसा भी बनाया जाए

अब तो मजहब कोई ऐसा भी बनाया जाए

किंतु उसका इतने दर्दनाक और अमानवीय हश्र में परिणित होना हमें अंदर तक झकझोरने के साथ ही ये भी सोचने पर मजबूर करता है कि हम वास्तव में किस दिशा में जा रहे हैं.. आगे पढ़िए

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