जिसमें हर इंसान को इंसान बनाया जाए
जिसे अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं..
जो अबोध है..
मासूम है..
सरल सहज है..
जिसे ये भी भान नहीं की कौन किस मंशा एवं मनोदशा से उसके पास आया है..
ऐसी परमात्मा स्वरूप निश्छल बच्ची के साथ इतना क्रूर एवं वीभत्स कृत्य करने वाले निश्चित ही इंसान कहलाने लायक तो नहीं है..
किसी भी वारदात के पीछे अवश्य ही कोई कारण एवं कहानी भी रहती है.. किंतु उसका इतने दर्दनाक और अमानवीय हश्र में परिणित होना हमें अंदर तक झकझोरने के साथ ही ये भी सोचने पर मजबूर करता है कि हम वास्तव में किस दिशा में जा रहे हैं..
उसी अनुसार किसी दुखद घटना के बाद की भी जिम्मेदारी हम पर होती है.. कि हम उसे क्या स्वरूप दे रहे हैं.. घटना से अधिक महत्व अन्य बातों को दिया जाना भी उतना ही अनुचित है..
घटना एक दूध मुंही बच्ची के साथ हुई है अतः उसमें हमें धर्म अथवा जाति से परे सोचना होगा.. किसने कब क्या किया किसके लिए आवाज़ उठाई किसके लिए नहीं उठाई.. उन्हें इस वक़्त महत्व देना सर्वथा गलत है क्योंकि उनको तूल या महत्व देना इस घटना को कमतर करता है..
अतः बात इस मासूम के साथ हुए अन्याय की एवं इसके लिए दोषियों को उचित सजा की होनी चाहिए.. जो कि न्यायालय अवश्य देगा..
न कि ये कि तब ऐसा हुआ आज ऐसा नहीं हुआ ..
असल परेशानी का सबब ही यही है कि हमने ऐसे कल्पनिय ,भावहीन लोगों को अपना आदर्श बना लिया है जो इसके लायक हैं भी या नहीं हैं.. जो सिर्फ प्रसिद्ध है.. जो रुपहले पर्दे पर भी अवास्तविक (अनरियल) होते हैं और लगभग वास्तविक जीवन में भी .. (जबकि उनकी जिम्मेदारी हम से अधिक है.. क्योंकि वे नामचीन है समाज व लोगों में)
इस दिखावे की भीड़ में सिर्फ गिने चुने व्यक्तित्व है जो प्रसिद्ध के साथ सिद्ध भी हैं..
इसलिए इन सो कॉल्ड बुद्धिजीवियों को अनदेखा करते हुए आगे बढ़ें..
वैसे भी हम सिर्फ अपने अंगूठे ही तो घिस रहे हैं.. जो भी आंदोलन कर रहे हैं या रोष प्रकट कर रहे हैं वो इस आभासी मंच पर ही तो कर रहे हैं.. अतः ये तो कम से कम सही दिशा में होना चाहिए..
अतः धर्म और जाति से ऊपर उठकर इंसानियत पर विचार होना चाहिए..
ऐसी दिल को चीर देने वाली दुखद घटना किसी भी धर्म अथवा जाति के व्यक्ति के साथ हो हमारा हृदय एक समान दुखना चाहिए.. यदि फर्क करेंगे तो ये निश्चित मान कर चलिए की आने वाले समय और पीढ़ियों को हम सिवाय आपसी नफरत के कुछ और नहीं देकर जाएंगे..
अतः हमें बहुत ही ज़िम्मेदारी से यह भगीरथ प्रयास करने होंगे..
ध्यान रहे कि..
मर्द की नजर में औरत की
पाक अस्मिता होनी चाहिए..
हम सब एक हैं और अगर
नहीं है तो एक होने चाहिए..
फरिश्तों की होड़ से पहले
हमें इंसान होना चाहिए..
गर मजहबी है बात तो हर
कुरान में गीता व हर गीता
में कुरान होनी चाहिए..।।
जय हो🙏💐
संजय_पुरोहित
🙏💐💐
Writer, Actor, Singer…. not only Sanjay Purohit is proficient in his key skills but also passionate about them. 20 years of theatrical journey, facing camera for daily soaps & his signature moves in song albums has gifted him with many creative experiences, but his passion inclines more towards Writing. Being a Deep Thinker by nature, writing comes to him easily. Evolved thinking about various subjects has influenced his Analytical & Logical Writing. His work extends but is not limited to Song Writing, Movie Scripts, Theatre Acts, Rewriting Devotional Stories(Katha) for the 21st century, and Articles/Blogs on Serious Subject Matters as well as Witty Political ones. Sanjay Purohit will not leave any stone unturned when it comes to accomplished writing on any given subject. We hope you savor his creations as much as he relishes creating them!