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क्या हम प्रसन्न हैं..?

kya hum khush hain?

हमें जीवन में परमात्मा से क्या मिलना चाहिए ..?
वो जो हमें अच्छा लगता है..?
या
वो जो हमारे लिए अच्छा है..?
निश्चित ही वो जो हमारे लिए अच्छा है..
हैं ना..
तो फ़िर हम मांगते या चाहते वो क्यों हैं जो हमें अच्छा लगता है..?

इस पर जब विचार किया तो मैंने पाया की हम भी बिल्कुल बच्चों कि तरह हैं.. बेशक उनके जितने मासूम, खरे, सच्चे, जिज्ञासु और वर्तमान में जीने वाले नहीं हों लेकिन फ़िर भी हम हैं तो.. लगभग बच्चे ही..

अब सोचिए की हम बच्चे कैसे..?

तो वो ऐसे की..
बच्चे अपने माता पिता से वही मांगते हैं जो उन्हें पसंद होता है जबकि माता पिता उन्हें वो देते हैं जो बच्चों के लिए अच्छा हो.. उनके भले का हो एवं उनके हित का हो.. जैसे कम उम्र के बच्चों को लग सकता है कि मुझे बाइक पसंद थी और पापा ने सायकल दिलाई है.. ये क्या बात हुई..
जबकि उसके लिए अभी वही सही है.. ये वो पिता जानते हैं किन्तु बच्चा नहीं..
अब ऐसा क्यों है..?
ये उस उम्र में शायद उसकी समझ से बाहर की बात है..

ठीक उसी तरह परमात्मा से हम जो भी मांगते हैं.. तो हमें वही मिलता है जो हमारे हित का एवं भले का हो.. इस बात का अहसास हमें उस वक़्त नहीं होता किंतु होता अवश्य है.. तो क्या ये हमारी भी समझ से बाहर की बात तो नहीं..?

अगर है तो भी हमें ये समझना ही होगा.. बल्कि बेहतर जीवन के लिए समझना ही चाहिए..
इसका सीधा सा अर्थ है कि हमें जो भी अभी मिला हुआ है या मिल रहा है वह वर्तमान में हमारे लिए सबसे अच्छा है..
जिस विश्वास, भरोसे और सूझ बूझ से हम अपने बच्चों का लालन पालन करते हैं.. ठीक उसी तरह परमात्मा भी हमें वह सब दे रहा है जो हमारे लिए अच्छा है..

बस हर परिस्थिति में हमें उन पर उतना ही विश्वास और भरोसा रखना होगा जितना हमें अपने आप पर होता है अपने बच्चों के मामले में..
जिस तरह बचपने में बच्चे खुद अपना भला सोचने में असमर्थ होते हैं जबकि हम बच्चों के लिए करने में पूर्ण रूप से आश्वस्त..

तो ज़रा सोचिए परमात्मा तो हमारे रचयिता हैं.. सर्वशक्तिमान है.. उनके किए पर संशय या संदेह हम कैसे कर सकते हैं..

हमें इस बात का पूर्ण विश्वास होना चाहिए.. बच्चों की तरह नहीं बड़ों की तरह.. कि परमात्मा जो कर रहे हैं वह सिर्फ हमारे भले के लिए ही कर रहे हैं..

जिस तरह माता पिता के लिए उनके बच्चे ही उनका सर्वस्व होते हैं..।।
उसी तरह परमात्मा के लिए ये संसार और इस संसार के समस्त जीव..।।

तो आज से ही यकीन मानिये कि जो भी वर्तमान में हमारे पास है.. वही हमारे लिए अभी उचित भी है.. और उसी में हमारा हित भी है..
और आने वाले वक़्त में जिसके लिए हम प्रयासरत हैं और जो भी हमारे लिए उपयुक्त होगा वो हमें निःसंदेह मिलकर ही रहेगा.. इसलिए परमात्मा पर अटूट विश्वास रखिए.. कर्म करिए.. परोपकारी बनिए.. निश्चिंत.. प्रसन्न और संतुष्ट रहिए.. भरोसा रखिए.. परमात्मा है हर पल हमारे साथ..

यही प्रसन्नता और संतुष्टि का मूल मंत्र है..🙏🙏

जय हो🙏💐😇

संजय_पुरोहित

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