एक गांव में तीन बहनें रहतीं थीं .. जिनके नाम थे.. नीति, मती और अति..
इन सबकी खूबियां ये थी कि..
अति बहुत चंचल और हटी थी..
नीति हर कार्य बहुत सोच विचार कर करती थी…
और मती इन सबमें सबसे बुद्धिमान थी..
बड़े होने पर अति का विवाह हुआ गति से और .. मती का विवाह हुआ सन से.. और नीति का विवाह हुआ राज से..
राज एवं नीति अर्थात राजनीति के पांच पुत्र छल, बल, मल, दल और लांछन हुए..
सन और मती अर्थात सन्मति के दो पुत्रीयां समृद्धि, सद्भावना एवं दो पुत्र सुख व शिष्टाचार हुए..
अति एवं गति के दो पुत्र दुःख, कष्ट एवं दो पुत्रियां व्याधि एवं क्षति हुई..
अब तक तो सभी अपने परिवार के साथ एक ही गांव में रह रहे थे..
किंतु अब अति और गति ने परिवार के साथ मिलकर अपना अलग गांव बना लिया है जिसका नाम है दुरगति.. अतः जो भी इनका अनुसरण करेगा उनका दुरगति नामक गांव में जाना और दुर्गति होना भी तय है..
उसी तरह राज और नीति भी अपने परिवार छल, दल, बल, मल और लांछन के साथ इति नामक गांव बना कर उसी ओर जाने को अग्रसर है अतः जो भी इस परिवार का अनुसरण करेगा उनकी भी इति अर्थात अंत होना निश्चित है..
अब सन व मती अर्थात सन्मति एवं इनका परिवार सुख, शिष्टाचार, सद्भावना एवं समृद्धि इस गांव को छोड़कर कहीं जाने को राज़ी नहीं है और ना ही इनका अनुसरण करने वाले लोग चाहते कि ये कहीं ओर जाए.. अतः यदि हम सब भी सन्मति का अनुसरण करें तो वे इसी गांव में आजीवन वास करते रहेंगे जिसका नाम है मां भारती.. 🇮🇳🇮🇳
किंतु विचारणीय ये भी है कि सिर्फ सन्मति के परिवार से ही तो देश का चलना सम्भव नहीं है ना.. क्यूंकि यहां तो राजनीति भी आवश्यक है और गति एवं अति भी अतः क्यों ना कुछ ऐसा किया जाए कि सब ही एक स्थान पर सकुशल रहें..
क्या पूछा आपने..?
कैसे..??
अरे भाई हम ही इस कथा के रचयता हैं तो अच्छाई और सच्चाई के लिए थोड़ा फेरबदल करके देखने में क्या फर्क पड़ता है..
क्योंकि दुर्गति एवं ईती नामक गांव से बेहतर विकल्प खोजना ही हमारा परम उद्देश्य होना चाहिए..
और ये तो विदित ही है कि मती ही जीवन की सही दिशा एवं दशा के लिए सर्वाधिक आवश्यक है अतः मती का उचित इस्तेमाल किया जाना अनिवार्य है..
अब फेरबदल ये है कि मती का विवाह राज से हो..
तो राजमती के एक पुत्री सुमती एवं एक पुत्र सुराज हुए.. इन चारों ने मिलकर एक बहुत ही अच्छे राज्य का निर्माण किया जिसमें सभी लोग बड़े प्रेम से रहते थे नाम था “स्वराज”…
और मती का विवाह गति से हो..
तो मती और गति के दो पुत्रियां हुई प्रगति , संगति एवं दो पुत्र हुए गतिशील, विवेकशील.. इन सबने मिलकर बहुत ही अच्छे राज्य की स्थापना की जो था “प्रगतिशील”..
उपरोक्त बदलाव से कितने सुंदर सार्थक राज्य स्थापित किए जा सकते हैं..
बस पहल करनी है तो हमें कि किसकी संगत कहां करें..
राज, नीति, सन, मती, अति, गति, इन्हीं में प्रगति भी है, स्वराज भी है, तो मां भारती भी है .. अतः ये हमें अपने स्वविवेक से तय करना होगा कि
सुंदर व सार्थक राज्य के लिए नीति को राज के स्थान पर गति से जोड़ें एवं नीतिगत कार्य करें..
मती व राज के साथ स्वराज स्थापित करें..
एवं अति की हटधर्मिता को मती से नियंत्रित करते हुए.. सर्वसम्मति के साथ एक बेहतरीन हिंदुस्तान का निर्माण करें..
तो आइए हम सभी ये आह्वान करें कि
परमात्मा हमको सन्मति से युक्त करे ताकि हम अपनी ही बनाई गई व्याधियों से मुक्त हो सकें.. और अपने मत एवं मती से मां भारती को प्रगतिशील बनाते हुए एक सुखद स्वराज की स्थापना करने मे अपना योगदान दें..
जय हो ..🙏😇💐
संजय पुरोहित..
Writer, Actor, Singer…. not only Sanjay Purohit is proficient in his key skills but also passionate about them. 20 years of theatrical journey, facing camera for daily soaps & his signature moves in song albums has gifted him with many creative experiences, but his passion inclines more towards Writing. Being a Deep Thinker by nature, writing comes to him easily. Evolved thinking about various subjects has influenced his Analytical & Logical Writing. His work extends but is not limited to Song Writing, Movie Scripts, Theatre Acts, Rewriting Devotional Stories(Katha) for the 21st century, and Articles/Blogs on Serious Subject Matters as well as Witty Political ones. Sanjay Purohit will not leave any stone unturned when it comes to accomplished writing on any given subject. We hope you savor his creations as much as he relishes creating them!