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How to Change Your Mindset to Change Your Life

नज़रिया / मानसिकता बदलिए ज़िंदगी बदल जायेगी

दोस्तों इंसान के लिए संसार में इंपोसिबल असंभव जैसा कुछ भी नहीं है बस निर्भर करता है हमारे माइंड सेट पर और हमारी सोच पर।

कुछ कार्य ऐसे होते हैं जो नामुमकिन, असंभव की श्रेणी में रख दिए जाते हैं की ये तो इंपोसिबल है। और हम अपने दिमाग को इसका अभ्यस्त बना देते हैं की इसको छोड़ो ये तो असंभव है।

इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं क्रिकेट हम सबके लिए एक रिलीजन की तरह है और क्रिकेट का वन डे संस्करण सबसे लोकप्रिय था और है और रहेगा। पहला वन डे सन 1971 में खेला गया था और आज इन्हें स्टार्ट हुए 50 साल हो चुके हैं। अब हम बात करेंगे असंभव से संभव होने की। वन डे में शुरू से यही धारणा थी की किसी भी खिलाड़ी का दोहरा शतक लगाना लगभग असम्भव है। और इसी धारणा को बड़े से बड़े धुरंधर खिलाड़ियों ने भी एक तरह से स्वीकार कर रखा था कुछ खिलाड़ी इसके इर्द गिर्द आए ज़रूर किंतु 200 का आंकड़ा छूने में नाकाम रहे।

अंततः इस धारणा को टूटने में 39 साल और लगभग 3000 वन डे मैच लगे। जी हां जब भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने 2010 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ़ वन डे का पहला दोहरा शतक लगाया, तो दोहरे शतक का ये भ्रम ये तिलिस्म धाराशयी हो गया। और लोगों को लगा की अरे ये तो मुमकिन था! अब इसके बाद के आंकड़े देखिए, जो हमारे माइंड सेट की कहानी कहते नज़र आयेंगे। कैसे..?

वो ऐसे की जिस पहले दोहरे शतक को लगने में 39 साल लगे उसके बाद 2019 तक 8 दोहरे शतक लग चुके थे। अर्थात सिर्फ़ 9 साल में 8 दोहरे शतक और 39 साल में एक। तो ये है हमारा माइंड सेट! जब तक ये नामुमकिन कार्य नहीं हुआ था तब तक सब यही सोचते थे की नहीं हो सकता किंतु जैसे ही किसी एक खिलाड़ी ने इसको ध्वस्त किया तो बाकियों को भी ये कार्य संभव लगने लगा और उनका माइंड सेट चेंज हो गया। इंपोसिबल पॉसिबल में परिवर्तित हो गया और एक के बाद एक 8 दोहरे शतक लग गए।

अगर कोई हमारे सामने किसी असंभव कार्य को कर देता है तो हमें वो आसान लगने लगता है, इसलिए संसार में सब कुछ मुमकिन है। जी हां सबकुछ।

कौन कहता है की आसमान में सुराख नहीं हो सकता… एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों !

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