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खुशियों का असल पता..

Khushiyon ka Asal Pata

जी हां शायद हमें मालूम ही नहीं है कि वे कहां मिलती है..
वे रखी कहीं है और हम ढूंढते कहीं और है..

एक दार्शनिक का कथन है कि..
“स्त्रियों को सबसे ज़्यादा खुशी सोना.. चांदी एवं हीरे.. मोती पाकर मिलती है”.. उन्हें ये उपहार दीजिये सुखमय जीवन के लिए..
अथवा “शॉपिंग भी स्त्रियों के लिए खुशियों का एक विकल्प है..आज़मा कर देखिए..”

उपरोक्त कथन को ही सत्यापित करते हुए विज्ञापन, फिल्में एवं सीरियल हम सपरिवार बड़े आनंद से देखते हैं.. और पता ही नहीं चलता धीरे धीरे कब यह कथन हम सबके अंतस तक गहरा पैठ जाता है..
हमें निरन्तर ये सब दिखाकर यह बता एवं जता दिया जाता है कि इसी तरह स्त्रियां अधिक ख़ुश रह सकती हैं.. चाहे हम वह सब लेने एवं देने में सक्षम हो या ना हो.. पर बाजारवाद ने हम सबके मनों पर आघात तो कर ही दिया..

अच्छा ज़रा ये बताइए कि आप बहुत कीमती हीरा जड़ित अंगूठी या हार खरीदने गए हैं..
तो वो किसके लिए लाएंगे..?
जी हां ज़ाहिर है अपनी पत्नी के लिए ही..
पर क्या ये सच है..?
आपकी धर्मपत्नी क्या सदैव उस महंगे हार या अंगूठी को पहन के रखेगी ..?
जी नहीं.. कभी कभार वार, त्यौहार या शादी ब्याह में ही..
तो विचार कीजिए हमने वो हीरा जड़ित जेवर पत्नी के लिए नहीं अपितु तिजोरी के लिए ही अधिक लिया है..
क्योंकि हम उस खुशी और सुख को तलाशने लगे जो कृत्रिम है..

जबकि जो सदैव स्त्री धारण करके रखती है वो है उसकी मुस्कुराहट,खिलखिलाहट, हंसी एवं प्रेम जो कि उसके वास्तविक गहने है पर हमारे नज़रिए और अनदेखी से ये गहने कहीं छुप से गए हैं जिन्हें हमें फ़िर से बाहर लाने का प्रयास करना चाहिए..

असल खुशियां हमें और उन्हें यहीं मिलेगी.. कैसे..?

वो ऐसे की..
स्त्री का मन बहुत कोमल और सरल होता है उन्हें आपकी भारी भरकम कविताओं से अधिक प्रिय आपका प्यार भरा सम्बोधन भी लग सकता है..
उनको बड़ी खुशियों को पाने से अधिक आनंद छोटे पलों में घटित खुशियों को सहेजने में आता है..
उन्हें बड़ी कार में लॉन्ग ड्राइव से अधिक खुशी आपके साथ पैदल चलने में मिलती है।
इसीलिए छोटे छोटे अनदेखे पलों में बिखरी तितली सी प्यारी खुशियां उनकी झोली में भर दीजिए..

जैसे कि.. जब वो खाना बनाए तो कभी किचिन में जाकर उनका हाथ बंटाने का प्रयास कीजिए..
आपका ये प्रयास उन्हें आपके प्रति विश्वास एवं प्रेम से भर देगा..
कभी वो बहुत थकी हुई लगे तो घर को अच्छे से संभालने के लिए धन्यवाद दीजिए.. और स्वयं का भी ख्याल रखने को कहिए..
यकीन मानिए उनकी सारी थकान आपकी इन बातों से ही उतर जाएगी..

यदि वो भी जॉब करती हैं तो किसी दिन आप घर जल्दी आकर खाना बनाने का प्रयास कीजिए..चाहे आपको ठीक से आता हो या नहीं..
पर ये निश्चित है की उन्हें आपकी जली एवं अधपकी चपाती और न खाने योग्य सब्जी या दाल में भी छप्पन भोग का आनंद आएगा..

क्यों..?
वो इसलिए कि आपके जीवन में उनका महत्व एवं उनके लिए आपका स्नेह उन्हें संसार की सबसे भाग्यशाली महिला होने का अहसास कराएगा..
यूंही कभी उनके पास जाकर कान में कहिए की मेरी ज़िन्दगी में आने के लिए मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूं.. बहुत प्यार करता हूं तुम्हें..
विश्वास कीजिए इससे बेहतर एवं महत्वपूर्ण पंक्तियां उनके जीवन में और कोई नहीं होगी..
उनका जीवन आप एवं आपके परिवार के लिए उन्होंने समर्पित कर दिया है.. इस बात पर उन्हें गर्व महसूस होगा…

मुझे ये पूर्ण विश्वास है कि हम सभी लोग इन सब बातों को भलीभांति जानते समझते हैं.. मैं कोई प्रथम इंसान नहीं हूं जो ये सब कह रहा हूं.. किंतु फिर भी हम इन्हें अप्लाई नहीं करते .. यदि करते भी हैं तो ना के बराबर..

यही छोटे छोटे पल जो बड़े सुख एवं खुशियां की तलाश में हमसे कहीं छूट से जाते हैं.. जबकि यही असल सुख एवं खुशियां हैं जो वास्तव में हर स्त्री अपने पति से और हर पति अपनी पत्नी से चाहता है.. खुशियों का असल पता इन्हीं में कहीं छिपा है जिन्हें पता नहीं हम कहां ढूंढ़ते रहते है .. जिससे ना तो खुशियां ही मिलती है और ना ही सुकून..

पता नहीं उस दार्शनिक ने किन स्त्रियों को ध्यान में रखकर ऐसा निष्कर्ष निकाला था.. किंतु इसका ये अर्थ भी नहीं है कि मेरा ये लेख इन वस्तुओं का उपयोग नहीं करने की सलाह हेतु है.. कतई नहीं ..

बस ये इंगित करना है कि सोना चांदी हीरा मोती.. क्षण भर की खुशियां तो देने में सक्षम हैं किन्तु जीवन भर की खुशियों के लिए हमें वही करना चाहिए जिससे स्त्री के असल गहने जो उसमें सदैव से विद्यमान है वो उजागर हो..

इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखकर ही इंसान संपूर्ण बनता है ..
और संपूर्ण होना कोई छोटी बात नहीं है..

जय हो🙏😇💐

संजय पुरोहित..

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