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हम अपने आप में सम्पूर्ण हैं

Hum apne aap me Sampoorn hain

एक योद्धा अपने घाव सबको नहीं दिखाता.. वह अकेले में उन घावों पर मरहम लगाकर स्वयं को फ़िर से तैयार करता है.. अगले दिन के युद्ध के लिए..

ठीक उसी तरह हमें भी अपने जीवन में हर दिन एक युद्ध लड़ना होता है .. अब ये हम पर ही निर्भर करता है कि हम इस जीवन में आने वाले कष्टों.. दुखों एवं परेशानियों को सबको बताते फिरें या स्वयं ही उनका निवारण कर फिर से अगले दिन के जीवन की तैयारी करें..

यदि योद्धा अपने घाव सार्वजनिक कर दे अथवा दुश्मनों को उसके घावों अर्थात् कमज़ोरी का पता लग जाए तो वह निश्चित ही युद्ध भी हार जाएगा और अपनी ज़िन्दगी भी..

इसीलिए युद्ध को जीतने एवं ज़िन्दगी से सीखने के लिए यह परम आवश्यक है कि हम अपनी कमजोरी.. कष्ट.. दुःख..परेशानियों अथवा घावों को सार्वजनिक ना करें.. अपने तक ही रखें.. वो समय गया जब कहा जाता था कि दुःख बांटने से कम होता है और सुख बांटने से बढ़ता है.. वर्तमान में इसका उलट हो गया है दुःख बांटने से बढ़ता है और सुख बांटने से कम होता है..

यह विचार सकारात्मकता के विलोम को परिभाषित नहीं कर रहा है.. अपितु यह कहना चाह रहा है कि हमने कहीं ना कहीं अपने दुःख और सुख के मायने ही बदल दिए हैं.. जैसे कि किसी अन्य का दुःख हमारा सुख बनने लगा है और किसी अन्य का सुख हमारा दुःख..

अतः हमें अपने दुख रूपी घावों को स्वयं ही सुख रूपी मरहम में बदलना होगा.. जगजाहिर नहीं बल्कि मन ज़ाहिर करके..
परमात्मा ने हमें भरपूर शक्ति से सम्पन्न करके ही इस धरा पर भेजा है.. हमारे भीतर ही पूरी क्षमता.. सामर्थ्य.. ताकत.. एवं चमत्कारी गुण है जो हम बाहर ढूंढ़ते है..

इसलिए हमें किसी और की अपेक्षा पहले स्वयं को जानने.. साधने एवं पहचानने की आवश्यकता है..

हम ही सम्पूर्ण हैं..जी हां हम खुद..

जय हो🙏💐

संजय पुरोहित