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हम अपने आप में सम्पूर्ण हैं

हम अपने आप में सम्पूर्ण हैं

वर्तमान में इसका उलट हो गया है दुःख बांटने से बढ़ता है और सुख बांटने से कम होता है.. आगे पढ़िए

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खुशियों का असल पता..

खुशियों का असल पता..

मुझे ये पूर्ण विश्वास है कि हम सभी लोग इन सब बातों को भलीभांति जानते समझते हैं.. मैं कोई प्रथम इंसान नहीं हूं जो ये सब कह रहा हूं.. किंतु फिर भी हम इन्हें अप्लाई नहीं करते .. यदि करते भी हैं तो ना के बराबर..

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ज़िन्दगी अभी बाकी है… Zindagi Abhi Baaki

ज़िन्दगी अभी बाकी है… Zindagi Abhi Baaki

… हमारी सांत्वना का कोई महत्व ही नहीं रहा।सारा कामधाम छोड़कर क्या यह ज्ञान की बातें सुनने आये थे हम यहां ? (“इस दृश्य को गहरे से समझने की आवश्यकता है हमें शायद”)

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