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अच्छे का अस्तित्व बुरे की उपस्थिति से है -Existence of Good due to presence of Bad

अच्छे का अस्तित्व बुरे की उपस्थिति से है -Existence of Good due to presence of Bad

यदि सिर्फ अच्छा ही रहे तो कुछ सदियों के बाद वो अच्छा कैसे माना जाएगा..क्योंकि अच्छा शब्द तो बुरे की वजह से है और यदि वजह ही नहीं रहे तो फिर वो अच्छा ना होके क्या माना जाएगा..?

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अवस्था की व्यवस्था

अवस्था की व्यवस्था

अतः विचारणीय ये है कि किसी भी एक अवस्था कि व्यवस्था यदि कमजोर अथवा ढीली रही तो संपूर्ण व्यक्तित्व की दशा डांवाडोल हो जाएगी..

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अब तो मजहब कोई ऐसा भी बनाया जाए

अब तो मजहब कोई ऐसा भी बनाया जाए

किंतु उसका इतने दर्दनाक और अमानवीय हश्र में परिणित होना हमें अंदर तक झकझोरने के साथ ही ये भी सोचने पर मजबूर करता है कि हम वास्तव में किस दिशा में जा रहे हैं.. आगे पढ़िए

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क्या हम प्रसन्न हैं..?

क्या हम प्रसन्न हैं..?

हमें जीवन में परमात्मा से क्या मिलना चाहिए ..? वो जो हमें अच्छा लगता है..? या वो जो हमारे लिए अच्छा है..?… आगे पढ़िए

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स्वयं का समर्थन करें अन्य का विरोध नहीं..

स्वयं का समर्थन करें अन्य का विरोध नहीं..

मैंने बीच में उनकी बात काटते हुए किन्तु उनके विश्वसनीय जज्बे को देखकर कहा मोहतरमा क्या आप मेरी बात भी सुनेंगी.. तो वे अपने पूर्वाग्रह से लगभग मुक्त होते हुए बोलीं हां हां कहिए प्लीज़.. क्या कहना है आपको.. मैंने कहा क्या आपने आजका न्यूज़ पेपर पढ़ा है.. खासकर मुख्य पृष्ठ..? …आगे पढ़िए

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हम अपने आप में सम्पूर्ण हैं

हम अपने आप में सम्पूर्ण हैं

वर्तमान में इसका उलट हो गया है दुःख बांटने से बढ़ता है और सुख बांटने से कम होता है.. आगे पढ़िए

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खुशियों का असल पता..

खुशियों का असल पता..

मुझे ये पूर्ण विश्वास है कि हम सभी लोग इन सब बातों को भलीभांति जानते समझते हैं.. मैं कोई प्रथम इंसान नहीं हूं जो ये सब कह रहा हूं.. किंतु फिर भी हम इन्हें अप्लाई नहीं करते .. यदि करते भी हैं तो ना के बराबर..

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ज़िन्दगी अभी बाकी है… Zindagi Abhi Baaki

ज़िन्दगी अभी बाकी है… Zindagi Abhi Baaki

… हमारी सांत्वना का कोई महत्व ही नहीं रहा।सारा कामधाम छोड़कर क्या यह ज्ञान की बातें सुनने आये थे हम यहां ? (“इस दृश्य को गहरे से समझने की आवश्यकता है हमें शायद”)

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हम दुखी क्यों हैं..?

हम दुखी क्यों हैं..?

हम दुखी क्यों हैं..?उपरोक्त कथन हर इंसान अपने जीवन में कभी न कभी अवश्य महसूस करता है..सभी को कोई दुःख तो होता ही है..अब किसको कितना दुःख है इसका आंकलन कौन व कैसे करे..?जैसे कि एक व्यक्ति को हाथ में फ्रेक्चर हो गया तो वह दुःखी हो जाता है कि मेरे साथ ही ऐसा क्यूं…

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